गाल पर ढलके हुए

गाल पर ढलके हुए आँसू की राह थाम कर। उसका काज़ल सब कहानियाँ बता निकला।

इलाही क्या इलाक़ा है

इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं”..!!

ख़्वाहिशों का कैदी हूँ

ख़्वाहिशों का कैदी हूँ, मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..

यूँ तो गलत नही होते

यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के, लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है।

डर हमेशा बना रहे

विश्वास कीसी पे इतना करो वो तुम्हें फंसाते समय खुद को दोषी समजे प्यार किसीसे इतना करो की उसके मन तुम्हें खोने का डर हमेशा बना रहे….

ऐसी शायरी लिखूँ

काश! मैं ऐसी शायरी लिखूँ तेरी याद में, तेरी शक्ल दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में.!

उसे मुफ्त ही दे दें

सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें , इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।

मेरे गुनाह भी ना थे

ज़िन्दगी मिली भी तो क्या मिली, बन के बेवफा मिली….. इतने तो मेरे गुनाह भी ना थे, जितनी मुझे सजा मिली..

चाहने वालों में

मै तो ग़ज़ल सुना कर अकेला खडा रह गया सुनने वाले सब अपने चाहने वालों में खो गए..

तेरे साथ की ख़ातिर

सफ़र-ए-ज़िन्दगी में इक तेरे साथ की ख़ातिर..!! उन रिश्तों को भी नज़रअंदाज़ किया जो हासिल थे..!! ‪

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