करोडो में नीलाम

करोडो में नीलाम होते है यहाँ, एक नेता के उतारे हुए सूट । वही कचरे में फेक देते है, ‘शहीदों की वर्दी और बूट’ ।

अजीब अदा है

अजीब अदा है यार लोगों की नज़रें भी हम पर है और नाराज़गी भी हमसे ही

जब सब तेरी

जब सब तेरी मरजी से होता है…. ऐ खुदा…………………………………. तो तेरा ये बन्दा गुनहगार कैसे हो गया……

डोर लम्बी हो

डोर लम्बी हो तो मतलब यह नहीं की पतंग ऊपर तक जाएगी, उड़ाने का तरीक़ा आना चाहिए, दौलत ज़्यादा का मतलब सफल जीवन नही, जीने का सलीक़ा आना चाहिए..!!!

ना मुमकिन है

ना मुमकिन है इसको समझना, दिल का अपना ही मिज़ाज़ होता है..!!

किस्मत बुरी या मैं

किस्मत बुरी या मैं बुरा, ये फैसला ना हो सका; मैं हर किसी का हो गया, कोई मेरा ना हो सका!

तुम्हारा जिक्र हूआ

तुम्हारा जिक्र हूआ तो महफिल तक छोड़ आए हम गैरो के लबों पर हमें तो तुम्हारा नाम तक अच्छा नही लगता !!

शीशे में डूब

शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को…

अधूरे हो जाते हैं

मुक़म्मल होने की ख़्वाहिश में हम…!… और भी ज़्यादा अधूरे हो जाते हैं…!!

अजीब सबूत माँगा

अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है !

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