रोज़ रोज़ रात को लिखूं ये मुमकिन नहीं…. कहकर… मेरी कलम सो गयी है रज़ाई में।
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सभी का खून
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी में किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडी है
Dosti Kam Na Ho
Zindgi Gujar Jaye Par…. Dosti Kam Na Ho, Yaad Hame Rakhana, Chahe Paas Ham Na Ho, Qayamat Tak Chalta Rahe Dosti Ka ye Safar, Dua Karo Kabi ye …… RISHTA Khatam Na ho…
हमी से सीखी है
हमी से सीखी है वफ़ा-ऐ-मोहब्बत उसने, जिससे भी करेगा… कमाल करेगा ।
सोचते हे सीख
सोचते हे सीख ले हम भी बेरुखी करना, प्यार निभाते-२ अपनी ही कदर खो दी हमने।
झूठ बोलते है
झूठ बोलते है वो लोग जो कहते हैं, हम सब मिटटी से बने हैं…!! मैं एक शख्स से वाकिफ हूँ, जो पत्थर का बना हैं….!!
कोई ज़हर कहता है
कोई ज़हर कहता है कोई शहद कहता है…. दोस्त, कोई समझ नही पाया ज़ायका मोहब्बत का ।
गुज़र जायेगी ये
गुज़र जायेगी ये ज़िन्दगी उसके बगैर भी.. … वो हसरत-ऐ-ज़िन्दगी है, शर्त-ऐ-ज़िन्दगी तो नहीं ।
तू याद रख या
तू याद रख या ना रख, तू ही याद हे, ये याद रख….
झूठी शान के परिंदे
झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फडडाते हैं, बाज की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती है !!