बस इतना ही जाना है

बस इतना ही जाना है मुझे तुमने दूर ही रहो जितना, जेहन में उतर आऊंगा|

तुम दूर भी

तुम दूर भी हो पर लगता है यही हो तुम कहो इश्क़ में तुम्हारा क्या हाल है|

ये सुलगते जज्बात

ये सुलगते जज्बात दे रहे है गवाही क्यों तुम भी हो न इस इश्क़ के भवर में|

मेरा ज़िक्र ही नहीं

मेरा ज़िक्र ही नहीं उस किताब में जिसे ताउम्र पढता रहा हूँ मैं

तू भले ही

तू भले ही रत्ती भर ना सुनती है मै तेरा नाम बुदबुदाता रहता हूँ

मेरा सब से बड़ा डर

मेरा सब से बड़ा डर यह है, कि कहीं आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे !!

पाया भी उन को

पाया भी उन को खो भी दिया चुप भी हो रहे, इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं…

मैं रुठा जो

मैं रुठा जो तुमसे तुमने हमें मनाया भी नहीं , अपनी मोहब्बत का कुछ हक जताया भी नहीं !!

मुहब्बत से तौबा तो कर

मुहब्बत से तौबा तो कर चुके हैं मगर थोडा जहर ला के दे दो आज तबियत उदास है|

जिस से मोहब्बत की

जिस से मोहब्बत की जाए उस से मुक़ाबला नही किया जाता.

Exit mobile version