इश्क …था इसलिए सिर्फ तुझ से किया. .. फ़रेब होता तो सबसे किया होता
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रिश्तों की एहमियत
रिश्तों की एहमियत को समझो, इन्हें जताया नहीं निभाया जाता है !!
निकाल दिया उसने
निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!!
वो मंजर भी
वो मंजर भी मोहब्बत का बडा दिलकश गुजरा, किसी ने हाल पुछा और आँखें भर आई !!
धड़कनों की यही
धड़कनों की यही तो खास बात है , भरे बाज़ार में भी किसी एक को ही सुनाई देती है…
रिश्ता निभाना मुश्किल नहीं
रिश्ता निभाना मुश्किल नहीं, बस थोड़ी सी वफ़ा चाहिए |
खुदा से मिलती है
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की, अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|
हुस्न और इश्क
हुस्न और इश्क बहुत रोये गले मिल मिल कर…!! जाने क्या कह दिया दीवाने ने दीवाने से….
सबको हँसता ही
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं, किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं।।
मैं तो हर पल
मैं तो हर पल ख़ुशी देती हूँ तुम्हें, तुम ये गम लाते कहाँ से हो।।