गुनगुनाने की कोशिश

मैं तेरी ही ग़ज़ल का कोई शेर हूँ ए-ज़िंदगी तू मुझे फिर से गुनगुनाने की कोशिश तो कर…..

हार गयी तकदिर

कुछ हार गयी तकदिर, कुछ टूट गये सपने, कुछ गैरो ने बरबाद किया, कुछ छोड़ गये अपने…!!

वो मुहब्बत कैसी

जो बेसब्र ना हो, तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..

कोई इल्जाम हो जैसे

सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की..! ज़िन्दगी, जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम हो जैसे..!!

सच्चे दिल से

सुनो‬.. इस दूनिया मेँ हर वो एक शख्स अकेला हैँ जिसने सच्चे दिल से मोहब्बत की हैँ…!!

डाली झूम उठी

सुब्ह सवेरे कौन सी सूरत फुलवारी में आई है डाली डाली झूम उठी है कली कली लहराई है ।

जो है हमारे पास

जो नहीं है हमारे पास वो “ख्वाब” हैं, पर जो है हमारे पास वो “लाजवाब” हैं…

दिल की डायरी में

जवाब तेरी शायरी का देंगे हम शायरी में .. . नाम तेरा लिख बैठे हैं अपने दिल की डायरी में

आँसूओं की तरह..

वापसी का तो कोई सवाल ही नहीं साहब .. . ,घर से निकले हैं हम आँसूओं की तरह..

तू एक बार वापस

मजबूर ना करेंगे तुझे, वादे निभाने के लिए…. . तू एक बार वापस आ,अपनी यादें ले जाने के लिए….!

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