फिर से सूरज

फिर से सूरज लहूलुहान समंदर में गिर पड़ा, दिन का गुरूर टूट गया और फिर से शाम हो गई .

जब मैं डूबा

जब मैं डूबा तो समंदर को भी हैरत हुई …… कितना तन्हा शख़्स है, किसी को पुकारता भी नही…..

दिल्लगी नहीं हमारी

दिल्लगी नहीं हमारी शायरी जो किसी हुस्न पर बर्बाद करें,यह तो एक शमा है जो आपके नूर का कयाम है. दिल ❤से?

हल्का गुरूर है

वो जो उनमें हल्का हल्का गुरूर है.. सब मेरी तारीफ का कुसूर है..।।

नजर की बात है

नजर-नजर की बात है कि किसे क्या तलाश है, तू हंसने को बेताब है, मुझे तेरी मुस्कुराहटों की ही प्यास हैं…

तेरे दर से मिला है

रुतबा मेरे सर को तेरे दर से मिला है,हलाकि ये सर भी मुझे तेरे दर से मिला है,ऒरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है,हमें तो मुकदर भी तेरे दर से मिला है

हमसे बिछड़ के

हमसे बिछड़ के वहाँ से एक पानी की बूँद न निकली तमाम उम्र जिन आँखों को हम, झील कहते रहे।

जिंदगी में सिर्फ

उल्फ़त, मोहब्बत, अश्क, वफ़ा, अफ़साने.. लगता है वो आयी थी जिंदगी में सिर्फ ऊर्दू सिखाने।

रात भर चलती

रात भर चलती रहती है अब उंगलियाँ मोबाईल पर…! किताब सीने पर रखकर सोये हुए तो एक जमाना गुजर गया….!!!

दिल में चाहत

दिल में चाहत का होना भी लाज़मी है वरना, याद तो दुश्मन भी रोज़ किया करते है.

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