प्यार अपनों का मिटा देता है ,इंसान का वजूद , जिंदा रहना है तो गैरों की नज़र में रहिये…….
Tag: शर्म शायरी
वो जिंदगी जिसे
वो जिंदगी जिसे समझा था कहकहा सबने….. हमारे पास खड़ी थी तो रो रही थी अभी |
शीशे में डूब कर
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को…. कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को……!!
किस्मत ऊपर वाला लिखता है . .
कहते है किस्मत ऊपर वाला लिखता है . . . ! फिर उसे क्यों लाता है ज़िन्दगी में जो किस्मत में नही होता|
बात बे बात पर
बात बे बात पर तेरी बात का होना, अब इसे ईश्क ना समझूं तो क्या समझूं?
नींद कल रात भी
नींद कल रात भी आई थी सुहानी हमको ए फ़क़ीरी तेरा एहसान चुकाएँ कैसे|
ऐ काश ज़िन्दगी भी
ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,, सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…
एक नाराज़गी सी है
एक नाराज़गी सी है ज़ेहन में ज़रूर, पर मैं ख़फ़ा किसी से नहीं…
अरे कितना झूँठ बोलते हो
अरे कितना झूँठ बोलते हो तुम,,, खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है…
ये सुनकर मेरी
ये सुनकर मेरी नींदें उड़ गयी,,, कोई मेरा भी सपना देखता है…