गहराईयो से पुकारा है

लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है ये बेचैनियां मोहब्बत की, मैंने तो हर बार दिल की गहराईयो से पुकारा है तुम्हे…

उम्र गुज़र गई

उम्र गुज़र गई …..पर …कोई तुम सा नही मिला, लोग यूँ ही कहते हैं …कि खोजने से खुदा भी मिलता है..

मन्नत के धागे

मन्नत के धागे की तरह मिले हो ……. तुम मुझको रब करे ये गाँठ ……. ज़िन्दगी भर ना खुल पाये |

रूठना मत कभी हमसे

रूठना मत कभी हमसे, मना नही पायेंगे, तेरी वो कीमत है मेरी जिंदगी में, कि शायद हम अदा नहीं कर पायेंगे…

कोई सिसक उठता होगा

कोई सिसक उठता होगा, किसी की आँख भर आती होगी.. इतना तो यकीन है मेरी शायरी दिल चीर के निकल जाती होगी…

मोहब्बत का कोई रंग

मोहब्बत का कोई रंग नहीं फिर भी वो रंगीन है, प्यार का कोई चेहरा नहीं फिर भी वो हसीन है।

खत्म कर दी थी

खत्म कर दी थी जिन्दगी की सब खुशियाँ तुम पर कभी फुर्सत मिले तो सोचना मुहब्बत किसने की थी…..

ये हर सुबह

ये हर सुबह इश्क के जलसे ये हर रात जुदाई के जुलुस … ये बेरोजगार शायर बनना तुम्हारे नौकरी जितना आसान थोड़े है ।

जीत रहा हूँ

जीत रहा हूँ लाखो लोगो का दिल ये शायरी करके लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितना अकेला हूँ|

तुम आ जाओ मेरी

तुम आ जाओ मेरी कलम की स्याही बनकर.. मैं तुम्हें अपनी ज़िन्दगी के हर पन्ने में उतार दूँगा

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