गलती उनकी नहीं कसूरवार मेरी गरीबी थी दोस्तो हम अपनी औकात भूलकर बड़े लोगों से दिल लगा बैठे !!
Tag: व्यंग्य
मुझे इंसान को
मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम…. या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की…. किसी की बुराई नजर ही ना आये..
लिखा जो ख़त हमने
लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर, डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..
जिन्दगी ने दिया सब
जिन्दगी ने दिया सब कुछ पर वफा ना दी जख्म दिये सब ने पर किसी ने दवा ना दी हमने तो सब को अपना माना पर किसी ने हमे अपनो में जगह ना दी |
ज़िन्दगी के मायने तो
ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे , अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो…
पेड़ को नींद नहीं आती..
पेड़ को नींद नहीं आती…जब तक आख़री चिड़िया घर नहीं आती…
जब याद करने वाले
जब याद करने वाले आप जैसे हो तो.. नम्बरों के कुछ मायने नहीं होते जनाब..!!
शीशे में डूब कर
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को…. कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को……!!
मेरी उम्र तेरे ख्याल में
मेरी उम्र तेरे ख्याल में गुज़र जाए.. चाहे मेरा ख्याल तुझे उम्रभर ना आए|
हम ने तो वफ़ा के
हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को इतना भी ख़याल न हुआ|