बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी; मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है…
Tag: व्यंग्य
माला की तारीफ़ तो
माला की तारीफ़ तो करते हैं सब, क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं.. काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.
Taqdeer se har
Taqdeer se har shaks ne hissa paaya.. Mere hisse me tere saath ki hasraat reh gaai..!
ये दुनियाँ ठीक
ये दुनियाँ ठीक वैसी है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं। यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में गुलाब !!
हमेशा नहीं रहते
हमेशा नहीं रहते सभी चेहरे नक़ाबों में, हर इक क़िरदार खुलता है, कहानी ख़त्म होने पर…!!
मयखाने से पूछा
मयखाने से पूछा आज,इतना सन्नाटा क्यों है, . मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है, साहेब अब शराब कौन पीता है…..!!……..
तू याद रख या
तू याद रख या ना रख, तू ही याद हे, ये याद रख….
ख्वाइश बस इतनी
ख्वाइश बस इतनी सी है कि तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह – वाह करें…!!
करोडो में नीलाम
करोडो में नीलाम होते है यहाँ, एक नेता के उतारे हुए सूट । वही कचरे में फेक देते है, ‘शहीदों की वर्दी और बूट’ ।
तुम्हारा जिक्र हूआ
तुम्हारा जिक्र हूआ तो महफिल तक छोड़ आए हम गैरो के लबों पर हमें तो तुम्हारा नाम तक अच्छा नही लगता !!