दो ही गवाह थे मेरी मोहब्बत के एक था वक्त ओर दुसरा सनम एक गुजर गया और दुसरा मुकर गया|
Tag: व्यंग्य
चंद खाली बोतलें
चंद खाली बोतलें चंद हसीनो के खतूत बाद मरने के, मेरे घर से ये सामां निकला।
वो चूड़ी वाले को
वो चूड़ी वाले को अपनी पूरी कलाई थमा देते है जिनकी हम आज तक उंगलिया छूने को तरसते हैं|
अंजाम की ख़बर
अंजाम की ख़बर तो साहब . . कर्ण को भी थी. . .पर बात दोस्ती निभाने की थी..
यादें बनकर जो
यादें बनकर जो रहते हो साथ मेरे, तेरे इतने अहसान का सौ बार शुक्रिया…..
इस तरह अंदाज़ा लगा
इस तरह अंदाज़ा लगा …. उसकी कड़वाहटों का, आख़री ख़त तेरा दीमक से भी खाया न गया…!!!
रात थी और स्वप्न था
रात थी और स्वप्न था तुम्हारा अभिसार था ! कंपकपाते अधरद्व्य पर कामना का ज्वार था ! स्पन्दित सीने ने पाया चिरयौवन उपहार था , कसमसाते बाजुओं में आलिंगन शतबार था !! आखेटक था कौन और किसे लक्ष्य संधान था ! अश्व दौड़ता रात्रि का इन सबसे अनजान था ! झील में तैरती दो कश्तियों… Continue reading रात थी और स्वप्न था
सज़ा ये दी है
सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें , क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे|
मालूम हमें भी है
मालूम हमें भी है बहुत से तेरे किस्से, पर बात हमसे उछाली नहीं जाती..
मुझसे हर शख्स
मुझसे हर शख्स खुश रहेगा, आज ये भरम टूटा है..ना जाने क्यूँ आज-कल मुझसे, मेरा सनम रूठा है….