खूब हूँ वाकिफ दुनिया से

खूब हूँ वाकिफ दुनिया से, बस खुद से अनजान हूँ..

दोनों को लुत्फ़ आता रहा

बहस में दोनों को लुत्फ़ आता रहा,,, मुझ को दिल,मैं दिल को समझाता रहा…

मैं कौन था

मैं कौन था पहले कोई पहचानता न था.., तुम क्या मिले,ज़माने में मशहूर हो गया ।

किसी ने रख दिए

किसी ने रख दिए ममता भरे दो हाथ…क्या सर पर, मेरे अन्दर कोई बच्चा…….बिलख कर रोने लगता है.!!

काफ़िला गुजर गया

काफ़िला गुजर गया जख्म देकर । रास्ता उदास है अब मेरी तरह ।।

इश्क़ बुझ चुका है ।

इश्क़ बुझ चुका है । क्यूंकि हम ज़ल चुके हैं ।।

जाते जाते अपने साथ..

जाते जाते अपने साथ.. ..अपनी खुशबुए भी ले जाते.. । ..अब जो हवा भी चलती है.. ..तो लगता है तुम आये हो.. ।।

मंज़िलें मुझे छोङ गई हैं

मंज़िलें मुझे छोङ गई हैं । रास्तों ने संभाल लिया है ।। जा ज़िदगी तेरी जरूरत नही । मुझे हादसो ने पाल लिया है ।।

शाम ढलने से पहले

शाम ढलने से पहले चराग हमने बुझा दिए. . . . तुझसे ही सिखा है यूँ दिलो में अँधेरा करना..

बिन धागे की सुई

बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस चुभती जा रही है.

Exit mobile version