हजारों महेफिलें है

हजारों महेफिलें है और लाखो मेले है,पर जहां तुम नहीं वहां हम अकेले है !!

रहते हैं साथ-साथ

रहते हैं साथ-साथ मैं और मेरी तन्हाई करते हैं राज की बात मैं और मेरी तन्हाई दिन तो गुजर ही जाता है लोगो की भीड़ में करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई !!

उड़ने दो मिट्टी

उड़ने दो मिट्टी,कहाँ तक उड़ेगी, हवा का साथ छूटेगा, ज़मीं पर आ गिरेगी…!

अर्थ लापता हैं

अर्थ लापता हैं या फिर शायद लफ्ज खो गए हैं…! रह जाती है मेरी हर बात क्यूँ इरशाद होते होते….!!

किसी रोज़ शाम के

किसी रोज़ शाम के वक़्त… सूरज के आराम के वक़्त… मिल जाये साथ तेरा… हाथ में लेके हाथ तेरा…

ऐ खुदा उसके

ऐ खुदा उसके हरेक लम्हे की हिफाजत करना…… मासूम सा चेहरा है उस पगली का उदास कभी मत करना…

मरकर भी तुझको

मरकर भी तुझको देखते रहने के शौक में, आखें भी हम किसी को अमानत में दे जायेंगे….

फासले कहाँ मोहब्बत

फासले कहाँ मोहब्बत को कम कर पाते हैं, बिना मुलाकात के भी कई रिश्ते अक्सर साथ निभाते हैं

तेरा ख़याल मुझे

तेरा ख़याल मुझे कुछ …… इस तरह पुकारता है जैसे मंदिरों में ……. कोई आरती उतारता है

दिल से ज्यादा

दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर, सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।

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