सुखे पत्तों की तरह बिखरा हुआ था मैं , किसी ने बड़े प्यार से समेटा……. .फिर आग लगा दी !
Tag: शर्म शायरी
इतना क्यों चाहा
इतना क्यों चाहा तुमने मुझसे मैं खुद से कितना दूर हो गया जिन्दा रखने आशाए तुम्हारी सब सहने को मजबूर हो गया इस प्यार ने जीवन में मुझको हरदम इतना तड़पाया है जब चाह हुई है हँसने की आँखों से पानी आया है.
मेरी उम्र तेरे ख्याल में
मेरी उम्र तेरे ख्याल में गुज़र जाए.. चाहे मेरा ख्याल तुझे उम्रभर ना आए..!!
कभी इतना मत मुस्कुराना
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
लुटा चुका हूँ
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी में यारो मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
कुछ तोहफे लाये हैं
कुछ तोहफे लाये हैं हम तुम्हारे लिए सुर्ख ताज़े गुलाबों की रंगत और ख़ुशबू जिंदगी,वफ़ा और रिश्तों के मायनें भी तुम सहेज कर रखोगी ना ये सब…?
हज़ार महफ़िलें है….
हज़ार महफ़िलें है…. लाख मेले है…. जब तक तू ना मिले….. हम अकेले ही है…..
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
किन लफ्जों में
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे… बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!
वक्त आया कि
वक्त आया कि अब खुद को बदनाम कहें। हो रही हो खूब सुबह मगर हम शाम कहें