उम्र भर ख़्वाबों की मंज़िल का सफ़र जारी रहा, ज़िंदगी भर तजुरबों के ज़ख़्म काम आते रहे…
Tag: शर्म शायरी
बस इतना ही जाना है
बस इतना ही जाना है मुझे तुमने दूर ही रहो जितना, जेहन में उतर आऊंगा|
तुम दूर भी
तुम दूर भी हो पर लगता है यही हो तुम कहो इश्क़ में तुम्हारा क्या हाल है|
इश्क़ की चोट का
इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही, दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही…
ये सुलगते जज्बात
ये सुलगते जज्बात दे रहे है गवाही क्यों तुम भी हो न इस इश्क़ के भवर में|
मेरा ज़िक्र ही नहीं
मेरा ज़िक्र ही नहीं उस किताब में जिसे ताउम्र पढता रहा हूँ मैं
तू भले ही
तू भले ही रत्ती भर ना सुनती है मै तेरा नाम बुदबुदाता रहता हूँ
और कितना परख़ोगे
और कितना परख़ोगे तुम मुझे? क्या इतना काफ़ी नहीं कि मैनें तुम्हें चुना है।
मेरा सब से बड़ा डर
मेरा सब से बड़ा डर यह है, कि कहीं आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे !!
मुझे कहाँ से
मुझे कहाँ से आएगा लोगो का दिल जीतना …!! मै तो अपना भी हार बैठी हूँ..!!