आज फिर देखा है मुझे किसी ने मोहोब्बत भरी निगाहों से, और एक बार फिर तेरी ख़ातिर मैंने अपनी निगाहें झुका ली…
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मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से
मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो की, वो धोखा देकर भी सोचे की वापस जाऊ तो किस मुंह से जाऊ !!
लोग आते हैं
लोग आते हैं मेरे घर की दरारें देखने, मुझ से मिलने के अक्सर बहाने कर के…!!
जब भी हक़ जता कर
जब भी हक़ जता कर देखा, मुझे हदें बता दीं गईं मेरी !!!
अगर दिल टूटे तो
अगर दिल टूटे तो मेरे पास चले आना ! मुझे बिखरे हुये लोगो से मोहब्बत बहुत है ….
मैं जो सब का
मैं जो सब का दिल रखती हूँ,,, सुनो मैं भी एक दिल रखती हूँ…
इश्क का धंदा
इश्क का धंदा ही बंद कर दिया साहीब मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल |
तुमसे मोहब्बत की
तुमसे मोहब्बत की होती तो शायद तुम्हें भुला भी देते, इबादत की है, मरते दम तक सजदे करेंगे..
अजीब तरह से
अजीब तरह से गुजर रही है जिंदगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ और मिला कुछ !!
तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए..
तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…पहाड़ क्यों न हुए ? तुम मेरे लिए पहाड़ क्यों हुए…रेत क्यों न हुए ? रेत…पहाड़…मैं…सब वही सिर्फ… “तुम” बदल गए पहली बार भी और फिर…आखिरी बार भी…