ख्वाहिशों की दुकान पर आँखें मूंद खड़े रहना, मुश्किल बहुत है….बड़े होकर बड़े रहना
Tag: व्यंग्य
मुहब्बत अगर चेहरा
मुहब्बत अगर चेहरा देख कर होती तो यकीन मानो तुम से कभी नही होती
दाग़ दुनिया ने
दाग़ दुनिया ने दिए, ज़ख़्म ज़माने से मिले हमको तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले|
अँधेरे चारों तरफ़
अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ… Continue reading अँधेरे चारों तरफ़
हर एक बात के
हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस ने जो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया..
बंध जाये किसी से
बंध जाये किसी से रूह का बंधन, तो इजहारे-ए मोहब्बत को अल्फाजो को जरूरत नही होती।
मोहब्बत का वो अंदाज़
मोहब्बत का वो अंदाज़ बड़ा निराला रखते है ,,तोड़ के शाख़ से गुलाब किताब में सुखा कर रखते है
आग भी क्या
आग भी क्या अजीब चीज़ है… ख़ामोशी से भी लग जाती है…!!!
दर्द कहां मोहताज़ होता है
दर्द कहां मोहताज़ होता है शब्दों का…? बस दो बूंद आंसू चाहिए बयां करने के लिए…
करवट बदल के भी देखा
मैंने करवट बदल के भी देखा है… उस तरफ भी तेरी जरुरत है….