गुरुर-ए-हुस्न

गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में, उनको ये भी नहीं खबर; . कौन चाहेगा सिवा मेरे, उनको उम्र ढल जाने के बाद !!

वो मेरा नाम लिखते हैं

जमीपर वो मेरा नाम लिखते हैं और मिटाते हैं… कम्बखत उनका टाइमपास होता हैं लेकिन नाम हमारा मिट्टी मे मिल जाता हैं ..

ख़ुशी तकदीरो में

ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए, तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है ..

हक़ीक़त ना सही

हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब की तरह मिला करो, भटके हुए मुसाफिर को चांदनी रात की तरह मिला करो |

हमें रोता देखकर

हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि, रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ|

जिंदगी में कभी

जिंदगी में कभी बिछड़ना पड़े तो मेरी साँसें भी ले जाना, तुम्हारे बाद ये मेरे किसी काम की नहीं|

आज कल बडे खामोश है

आज कल बडे खामोश है शायर सारे… क्या बात है हमसफर नाराज है तुमसे या लफ्ज नाराज है हमसफर से …

आंसू बहा बहा के

आंसू बहा बहा के भी होते नहीं हैं कम.. कितनी अमीर होती है आँखें ग़रीब की..

बहुत आदतें थीं

बहुत आदतें थीं जो छोड़ दी मैंने… ख़्याल तुम्हें अपनाने का जो आया!!

लोग कहते है कि

लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए और हम कहते है कि आदमी का जमीर होना चाहिए……..?

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