हक़ीक़त ना सही

हक़ीक़त ना सही तुम
ख़्वाब की तरह मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात की तरह मिला करो |

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version