हक़ीक़त ना सही तुम
ख़्वाब की तरह मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात की तरह मिला करो |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हक़ीक़त ना सही तुम
ख़्वाब की तरह मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात की तरह मिला करो |