बड़ा अहसान है तेरी सभी नफरतों का मुझपे, तुझसे मिली एक ठोकर ने मुझे चलना सिखा दिया…
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जब तक है
जब तक है ये सांस निभा लो साथ अफसोस ही रहता है, बिछड़ जाने के बाद…!!!
हम भी कभी
हम भी कभी अपनो की उदासी दूर किया करते थे, पर जब आज हम तन्हा है तो पूछने वाला कोई नही !!!
किस कदर जोर से
किस कदर जोर से हंसा था दिल ! साफ़ लगता था रोने वाला है !!
जो भी आता है
जो भी आता है एक नई चोट देकर चला जाता है, माना मैं मजबूत हूँ लेकिन…… पत्थर तो नहीं.!
कुछ मीठा सा
कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में; वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये!
वक्त मिले कभी तो
वक्त मिले कभी तो कदमों तले भी देख लेना, . . बेकसूर अक्सर वहीं पाये जाते हैं..
गले लगा के
गले लगा के मुझे पूछ मसअला क्या है मैं डर रहा हूँ तुझे हाल-ए-दिल सुनाने से
नर्म लफ़्ज़ों से
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर, रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं, पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
ये कैसी किस्मत है
ये कैसी किस्मत है दिल और भरोसे की,,, कि सिर्फ टूटना लिखा रब ने मुकद्दर में…