तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..! तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम “अपनी” नज़रे झुका लेते थे..!
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हजारों शेर मेरे सो गये
हजारों शेर मेरे सो गये कागज की कब्रों में अजब पिता हूँ कोई बच्चा मेरा ज़िन्दा नहीं रहता|
नींद आँखों में लिये
नींद आँखों में लिये, सुस्त पड़ी है कागज पर, थकान लफ्ज़ों की मेरे, उतरी नहीं अब तक…
सितारों की फसलें
सितारों की फसलें उगा ना सका कोई मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे |
करवट बदलने का
करवट बदलने का क्या फायदा, इस तरफ भी तुम, उस तरफ भी तुम……
कभी जिंदगी न मिले
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले !!
मकान बन जाते है
“मकान बन जाते है कुछ हफ्तों में, ये पैसा कुछ ऐसा है…और घर टूट जाते है चंद पलो में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है..।।
यूँ तो मशहूर हैं
यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से……………!! मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी |
आइना फिर आज
आइना फिर आज रिश्वत लेते पकड़ा गया… दिल में दर्द था, फिर भी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया….!
जख्म तो हम भी
जख्म तो हम भी अपने दिल पर तुमसे भी गहरे रखते हैं,… पर हम अपने जख्मों पर मुस्कुराहटों के पहरे रखते है..!!