सुनो मैं बहुत खुश हूँ

सुनो मैं बहुत खुश हूँ.. कैसा लगा मेरा झूठ आपको…

अपनी गाड़ियां छांव में

जिन्हें अपनी गाड़ियां छांव में लगाने का शोक है, उन्हें पेड़ पौधे लगाने का भी शौक होना चाहिए।

कागज़ों पे लिख कर

कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूं मै वो शख़्स नही वो शायर हुँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है|

उसका वादा भी

उसका वादा भी अजीब था..कि जिन्दगी भर साथ निभायेंगे,मैंने भी ये नहीं पुछा कीमोहब्बत के साथ या यादों के साथ..!!

बंदगी हमने छोड़ दी

बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़ क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ..

इस से पहले कि

इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ तू भी हीरे से बन गया पत्थर हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ

मैं दाने डालता हूँ

मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के ये लफ्ज़ कबूतरों से चले आतें हैं|

सलीका तुमने परदे का

सलीका तुमने परदे का बड़ा अनमोल रख्खा है.. यही निगाहें कातिल हैं इन्ही को खोल रख्खा है..

इंसान को बोलना सीखने में

इंसान को बोलना सीखने में दो साल लगते हैं लेकिन , कोनसा लफ्ज़ कहाँ बोलना है ये सीखने में पूरी ज़िन्दगी गुजर जाती है,,,

तज़ुर्बा है मेरा….

तज़ुर्बा है मेरा…. मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है, संगमरमर पर तो हमने …..पाँव फिसलते देखे हैं…!

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