अब मौत से

अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले, वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे​।

मैं ख़ामोशी तेरे मन की

मैं ख़ामोशी तेरे मन की तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा..! मैं एक उलझा लम्हा तू रूठा हुआ हालात मेरा..!!

हक़ हूँ में

हक़ हूँ में तेरा हक़ जताया कर, यूँ खफा होकर ना सताया कर..

कितना प्यार है

कितना प्यार है तुमसे, वो लफ्ज़ों के सहारे कैसे बताऊँ, महसूस कर मेरे एहसास को, अब गवाही कहाँ से लाऊँ।

किसी और का हाथ

किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ.. तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..

मेरा और उस चाँद का

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक सा है…. वो तारों में तन्हा है, मैं हजारों में तन्हा।

जाने किन कर्मों की सजा

मुझे न जाने किन कर्मों की सजा देते हैं. आख़िरी घूँट हूँ ,बहुत लोग छोड़ देते हैं .!!

हज़ार महफ़िलें हो

हज़ार महफ़िलें हो, लाख मेले हो, जब तक खुद से ना मिलो, अकेले ही हो।

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना “गांव” छोड़ने को !! वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।

शायरी का रंग

शायरी का रंग और भी गुलनार हो जाता है, जब दो शायरों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है..

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