हवा चुरा ले

हवा चुरा ले गयी थी मेरी ग़ज़लों की किताब.. देखो, आसमां पढ़ के रो रहा है. और नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो रही है..!

गाँव की गलियाँ

गाँव की गलियाँ भी अब सहमी-सहमी रहती होंगी , की जिन्हें भी पक्की सड़कों तक पहुँचाया वो मुड़के नहीं आये..!!

अपने लफ़्ज़ों में

ताकत अपने लफ़्ज़ों में डालों आवाज़ में नहीं.. क्यूँकि फसल बारिश से उगती है बाढ़ से नहीं..

कहानी जब भी

कहानी जब भी लिखूंगा अपनी उजड़ी हुई ज़िन्दगी की सबसे मजबूत किरदार में तेरा ही ज़िक्र होगा..!!

इकट्ठा कर लिए

इकट्ठा कर लिए हथियार जितने लड़ने वालों ने….!! इकट्ठे करते इतने फूल तो दुनिया महक जाती…..!!

लब ये ख़ामोश रहेंगे..

लब ये ख़ामोश रहेंगे… ये तो वादा है मेरा…! कुछ अगर कह दें निगाहें… तो ख़फा मत होना…

मयखाने की इज्जत

मयखाने की इज्जत का सवाल था, बाहर निकले तो हम भी थोडा लड़खड़ा के चल दिए….

बदल जाते हैं

बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह; जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाता है!

ना ढूंढ मेरा किरदार

ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के हुजूम में, “वफ़ादार” तो हमेशा तनहा ही मिलते हैँ…

देखे जो बुरे दिन

देखे जो बुरे दिन तो ये बात समझ आई, इस दौर में यारों का औकात से रिश्ता है।

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