अंदाजा लगाओ मेरी

अंदाजा लगाओ मेरी मोह्हबत का इस बात से ही तुम्हारे नाम का हर शख्स मुझे अच्छा लगता है .

मोहब्बत नही थी

मोहब्बत नही थी तो एक बार समझाया तो होता !! बेचारा दिल तुम्हारी खमोशी को इश्क समझ बैठा !!

फिसलते देखा है!!

मिट्टी में ही होती है पकड़ मजबूत पैरों की।.. संगमरमर पर अक्सर मैंने लोगो को फिसलते देखा है!!

फिर नींद से

फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें… क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाते हो तुम….

असफलता का डर नहीं

एक बार काम शुरू कर लें तो असफलता का डर नहीं रखें और न ही काम को छोड़ें। निष्ठा से काम करने वाले ही सबसे सुखी हैं।

मैं उसकी गोंद में

मैं उसकी गोंद में खीला बचै की तरह मुजे फ़िरीगियो बोली सीखा पर उर्दू ऐ कलाम ना सीखा

पढ़ लेते हो तुम

पढ़ लेते हो तुम…. .मुझे हर बार…. वो दो नीली रेखाएँ गवाह हैं व्हाट्सएप कीं !!

ढल गया आफ़ताब

ढल गया आफ़ताब ऐ साक़ी ला पिला दे शराब ऐ साक़ी या सुराही लगा मेरे मुँह से या उलट दे नक़ाब ऐ साक़ी मैकदा छोड़ कर कहाँ जाएँ है ज़माना ख़राब ऐ साक़ी जाम भर दे गुनाहगारों के ये भी है इक सवाब ऐ साक़ी आज पीने दे और पीने दे कल करेंगे हिसाब ऐ… Continue reading ढल गया आफ़ताब

हाथों की कठपुतली है।

यदि कोई आपका अपना आपको गुस्सा दिलाने में सफल होता है तो मान लें की आप उसके हाथों की कठपुतली है।

एक रविवार ही है

एक रविवार ही है जो रिश्तों को संभालता है वरना बाकि दिन तो किश्तों को सँभालने में लग जाते है !!

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