बिछड़ के भी वो रोज मिलते है हमसे ख्वाबों में…. ये नींद न होती तो हम कब के मर गये होते….
Category: Sad Shayri
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ, मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम असल में उन्ही से रिश्ते गहरे होते हैं…
उसी का शहर
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़ हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा|
धुप से जल कर
धुप से जल कर मरा है वो, कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!
दोनों हाथों से
दोनों हाथों से लूटती है हमें , कितनी ज़ालिम है तेरी अंगड़ाई…!
चाहे फेरे ले लो
चाहे फेरे ले लो या कहो कबूल है अगर दिल में प्यार नहीं तो सब फिजूल है|
दोनों हाथों से
दोनों हाथों से लूटती है हमें , कितनी ज़ालिम है तेरी अंगड़ाई…!
बड़े अजीब हैं
बड़े अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते, अनजाने मोड़ पर कुछ लोग दोस्त बन जाते हैं. मिलने की खुशी दें या न दें, बिछड़ने का गम जरुर दे जाते हैं…!!
फिर उसकी याद
फिर उसकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है|