कुछ दिन के लिए

कुछ दिन के लिए रूठ के अच्छा किया हुजूर… . जितने अधूरे काम थे,निपटा दिए हमने………

दोस्तों से भरे

तू देख कि तुझसे इश्क करने में मुझे कैसे जीना पड़ गया . . दोस्तों से भरे शहर में दीवारों से लिपट कर रोना पड़ गया

मोहब्बत नहीँ करतेँ..

ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की, बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ…!!

मोहब्बत कम नहीं होती..!

नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे.. कि यूँ ” खत” को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती..!”

लाखों की तकदीर

ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है… मुझे दिलासा तो दे, के अब मेरी बारी है…!!!!

उनसे इश्क़ हुआ है..

सिर्फ रिश्ते टूटा करते हैं साहब, मुझे तो उनसे इश्क़ हुआ है..

लहू बेच-बेच कर

लहू बेच-बेच कर जिसने परिवार को पाला, वो भूखा सो गया जब बच्चे कमाने वाले हो गए…!!

मोहब्बत बढ़ती जायेगी।

हमने कब माँगा है तुमसे वफाओं का सिलसिला; बस दर्द देते रहा करो, मोहब्बत बढ़ती जायेगी।

लोग मुन्तजिर थे

लोग मुन्तजिर थे, मुझे टूटता हुआ देखने के, और एक मैं था, कि ठोकरें खा खा कर पत्थर का हो गया

didar karte hain

Agr Labo se baat ho gaur mat karna Kyunki yehi lab kise Aur se didar karte hain

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