वो एक ख़त

वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…? देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….

शायरों की बस्ती में

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना । गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।

खुश तो वो रहते हैं

खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मो से मोहब्बत करते हैं, रूह से मोहब्बत करने वालों को अक्सर तड़पते देखा है..

कुछ खास जादू नही है

कुछ खास जादू नही है मेरे पास , बस्स बाते मै दिल से करता हूँ !!

वक़्त बीतने के बाद

वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है, जो अधूरी छूट गयीं, वो ख्वाहिशें ज्यादा बेहतर थीं।

बस दिलों को

बस दिलों को जीतना ही मकसद रखना दोस्तों, वरना दुनिया जीतकर तो सिकंदर भी खाली हाथ ही गया…..

सुकून और इश्क

सुकून और इश्क वो भी दोनों एक साथ !! रहने दो जी, कोई अक्ल की बात करो ।।

भूल न जाऊं

भूल न जाऊं माँगना उसे हर नमाज़ के बाद, यही सोच कर हमने नाम उसका दुआ रक्खा है।

तुम जो ये ख्वाब

तुम जो ये ख्वाब साथ लिए सोते हो,यही तो इश्क़ है|

इनसान बनने की फुर्सत

इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती, आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!

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