पूछ रही है

पूछ रही है आज मेरी शायरियाँ मुझसे कि, कहा उड़ गये वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे ?

कितने तोहफे देती है

कितने तोहफे देती है ये मोहब्बत भी यार, दुःख अलग रुस्वाई अलग, जुदाई अलग तन्हाई अलग…

गुलाब खिलते रहे

गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में, हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में. खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको, देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको…

किसी सूरत से

किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना

हसरतों को फिर से

हसरतों को फिर से आ जावे न होश, दिल हमारी मानिये रहिये ख़मोश…

रूप देकर मुझे

रूप देकर मुझे उसमें किसी शहज़ादे का अपने बच्चों को कहानी वो सुनाती होगी |

फ़लक़ पर जिस दिन

फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।

तरीका न आये

तरीका न आये पसंद हो जाए न खता हमसे अब तुम ही बता दो वैसे ही करूँगा इश्क तुमसे अब|

मसर्रतों के खजाने

मसर्रतों के खजाने तो कम निकलते है… किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते है…

यादों के फूल

यादों के फूल खिलते रहते हैं वक्त की शाखों पर कुछ खालीपन रहता है…इन भरी भरी आंखो में…

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