हमारी नियत का पता

हमारी नियत का पता तुम क्या लगाओगे गालिब…. हम तो नर्सरी में थे तब भी मैडम अपना पल्लू सही रखती थी….

जब से छूटा है

जब से छूटा है गांव वो मिट्टी की खुशबू नहीं मिलती, इस भीड़ भरे शहर में अपनों की सी सूरत नहीं मिलती।

जरुर रुला देती है

जो ‘Shakhs’हमेशा हँसता रहता है….!!! उसे एक दिन Mohabbat, जरुर रुला देती है…!!!

क्या उम्मीदें होंगी

उस गरीब की भी, क्या उम्मीदें होंगी जिंदगी से जिसकी साँसे भी, गुब्बारों में बिकती हैं..!

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