ज्यादा कुछ नहीं

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र बढने के साथ, बस बचपन की जिद समझौतों में बदल जाती है…

जिस वक़्त दिल चाहे..

जिस वक़्त दिल चाहे… आप चले आओ मैं……. कोई चाँद पर नहीं रहता

गले मिलने को

गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं, अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं…

यूँ ना हर बात पर

यूँ ना हर बात पर जान हाजिर कीजिये, लोग मतलबी हैं कहीं मांग ना बैठे…!!!

सवाल ज़हर का

सवाल ज़हर का नहीं था वो तो हम पी गए तकलीफ लोगो को बहुत हुई की फिर भी हम कैसे जी गए

बदलवा दे मेरे

बदलवा दे मेरे भी नोट ए ग़ालिब, या वो जगह बता दे, जहां कतार न हो..

इक चेहरा पड़ा मिला

इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर, जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा

वो बुलंदियाँ भी

वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब, जहाँ इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये ।

चल चल के थक गया है

चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई, क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…

पिघली हुई हैं

पिघली हुई हैं, गीली चांदनी, कच्ची रात का सपना आए थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी, नींद में कोई अपना आए नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…

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