फ़लक़ पर जिस दिन

फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।

तरीका न आये

तरीका न आये पसंद हो जाए न खता हमसे अब तुम ही बता दो वैसे ही करूँगा इश्क तुमसे अब|

यादों के फूल

यादों के फूल खिलते रहते हैं वक्त की शाखों पर कुछ खालीपन रहता है…इन भरी भरी आंखो में…

गलत कहते है लोग

गलत कहते है लोग कि संगत का असर होता है,वो बरसो मेरे साथ रही, मगर फिर भी बेवफा निकली..!!

जिंदगी में बेशक

जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !! मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !!

जब घर जाता हूँ

खाली हाथ लेके जब घर जाता हूँ मैं मुस्कुरा देते हैं बच्चे और फिर से मर जाता हूँ मैं |

ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं

मुझे ज़िन्दगी जीने का ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं पर सुना है लोग सादगी से जीने नहीं देते |

मुझे तालीम दी है

मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से … कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से

हज़ारों भुला दिए

अभी तक, याद कर रहे हो पागल; उसने तो तेरे बाद भी, हज़ारों भुला दिए!

अभागे क्षणों की समीक्षा

उन अभागे क्षणों की समीक्षा न हो आँख जब इक उदासी का घर हो गयी चुप रहे हम सदा कुछ न बोले कभी चुप्पियाँ फिर गुनाहों का स्वर हो गयी न्याय का कब कोई एक आधार है यातना हर घड़ी याचना जन्मभर । … देह वनवास को सौंपकर वो चला चित्त घर की दिशा शेष… Continue reading अभागे क्षणों की समीक्षा

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