अपने ही साए में

अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ, जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..

दुश्मनों के साथ

दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है, देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन……

एक नाराज़गी सी है

एक नाराज़गी सी है ज़ेहन में ज़रूर, पर मैं ख़फ़ा किसी से नहीं…

मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर

मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं, मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…

आज उसने अपने हाथ से

आज उसने अपने हाथ से पिलायी है यारो,,, लगता है आज नशा भी नशे मे है…

ये चांद की

ये चांद की आवारगी भी यूंही नहीं है, कोई है जो इसे दिनभर जला कर गया है..

कहते है किस्मत

कहते है किस्मत ऊपर वाला लिखता है! फिर उसे क्यों लाता है ज़िन्दगी में जो किस्मत में नही होता

बात बे बात

बात बे बात पर तेरी बात का होना, अब इसे ईश्क ना समझूं तो क्या समझूं?

कहाँ मिलता है

कहाँ मिलता है कोई समझने वाला जो भी मिलता है, समझाकर चला जाता है…

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