लोग कहते हैं

लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर….

आग लगाना मेरी

आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं.., पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये… उस में मेरा क्या क़सूर…!!

हजारों महफिलें है

हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं, पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|

नब्ज़ में नुकसान

नब्ज़ में नुकसान बह रहा है लगता है दिल में इश्क़ पल रहा है…!!

धुले नहीं दाग

धुले नहीं दाग खून के और हमे बद्दुआ देने चले आए है।

आहिस्ता बोलने का

आहिस्ता बोलने का उनका अंदाज़ भी कमाल था.. कानो ने कुछ सुना नही और दिल सब समझ गया..

तुम सामने बैठी रहो

तुम सामने बैठी रहो,तुम्हारा हुस्न पिता रहूं,मौत जो आ गयी दरमियाँ,मरकर भी जीता रहूं|

आशियाने बनें भी तो

आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब… जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..!!

खुश नसीब है

खुश नसीब है ये आँखे जो सिर्फ , तेरे इंतजार में है, वरना पराये तो यू ही मिल जाते है|

जिन्दगी जीने का मजा

जिन्दगी जीने का मजा तब तक जब तक वो जरा अधूरी रही, मौका दूसरा हर किसी के मुकद्दर में हो ये जरूरी नहीं।।

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