बात बे बात पर

बात बे बात पर तेरी बात का होना, अब इसे ईश्क ना समझूं तो क्या समझूं?

ग़लतफहमी की गुंजाइश

ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..

इस तरह सुलगती

इस तरह सुलगती तमन्नाओं को बुझाया मैं ने, करके रोशन यार की महफ़िल अपना घर जलाया मैंने…

इतना काफी है

इतना काफी है के तुझे जी रहे हैं,,,, ज़िन्दगी इससे ज़्यादा मेरे मुंह न लगाकर…!!

एहसास-ए-मोहब्बत

एहसास-ए-मोहब्बत की मिठास से मुझे आगाह न कर ये वो ज़हर है…जो मैं पहले भी पी चुकी हूँ…!!

ताउम्र उल्फ़तें

ताउम्र उल्फ़तें और वो छोटी सी आशिक़ी… मरने का तरीक़ा है ये ज़िंदा रहने की हसरतें…

शीशे में डूब कर

शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को…. कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को……!!

मेरी उम्र तेरे ख्याल में

मेरी उम्र तेरे ख्याल में गुज़र जाए.. चाहे मेरा ख्याल तुझे उम्रभर ना आए|

हम ने तो वफ़ा के

हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को इतना भी ख़याल न हुआ|

मुल्क़ ने माँगी थी

मुल्क़ ने माँगी थी उजाले की एक किरन.. निज़ाम ने हुक़्म दिया चलो आग लगा दी जाय..!!

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