सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें , क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे|
Category: Hindi Shayri
मालूम हमें भी है
मालूम हमें भी है बहुत से तेरे किस्से, पर बात हमसे उछाली नहीं जाती..
नज़रिया बदल के
नज़रिया बदल के देख हर तरफ नज़राने मिलेंगे। ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे…
छोड़ आया हूँ
छोड़ आया हूँ गर्म चाय मेज़ पर। यह इशारा है तुमसे जुदाई का।
लफ़्ज़ों की प्यास
लफ़्ज़ों की प्यास किसे है… मुझे तो तेरी खामोंशियों से भी इश्क है|
वक़्त का फेर
वक़्त का फेर वक़्त है ढल चुका और ढल चुका वो दौर भी…. फ़िर भी आइने में, वक़्त पुराना ढूंढते हैं !! महफिलें सजती थीं जहाँ दोस्तों के कहकहों से…. दीवारों-दर पे, उनके निशान ढूंढते हैं !! कुछ दर्द वक़्त ने तो कुछ हैं अपनों ने दिए…. अकेले आज भी, दिल के टूकड़ों को जोड़ते… Continue reading वक़्त का फेर
कीमतें रोटी की
कीमतें रोटी की क्या हैं,मुफ़लिसों से पूछिए, भाव जो देखें हैं,तुमने झूठ हैं,,,, अखबार के…।।
क्या खूब मेरे कत्ल का
क्या खूब मेरे कत्ल का तरीका तुने इजाद किया । मर जाऊँ हिचकियों से, इस कदर तूने याद किया ।
मै रात भर
मै रात भर सोचता रहा मगर फैंसला न कर सका, तू याद आ रही है या मैं याद कर रहा हूँ…
मेरी बात सुन पगली
मेरी बात सुन पगली अकेले हम ही शामिल नही है इस जुर्म में…. जब नजरे मिली थी तो मुस्कराई तू भी थी.