बूंदों का सवाब

बूंदों का सवाब समझ सकता है.. वही..जो वाकिफ़ हो भीग जाने के हुनर से !

ऐसे माहौल मे…

ऐसे माहौल मे…दवा क्या है..?दुआ क्या है..?? जहा कातिल ही… खुद पूछें..हुआ क्या है..?हुआ क्या है

ख़्वाबों की पुट्टी

ख़्वाबों की पुट्टी से ख्वाहिशों की दीवार संवारता हूँ रोज़ ही ज़रुरतें सीलन बनकर उधेड़ देतीं हैं उन्हें|

अजीब सा जहर है

अजीब सा जहर है तेरी यादों मै मरते मरते मुझे सारी ज़िन्दगी लगेगी..!!

अगर ज़िंदगी मे

अगर ज़िंदगी मे कुछ पाना हो तो,अपने तरीके बदलो इरादे नही।

ज्यादा कुछ नहीं

ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िंदगी में ,,, बस बटुए थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए हैं।

मैं मुसाफिर हूँ

मैं मुसाफिर हूँ ख़ताऐं भी हुई हैं मुझसे ……!!! तुम तराज़ू में मेरे पाँव के छाले रखना ……!!!

इस तरह ज़िन्दगी में

इस तरह ज़िन्दगी में मुझे तेरा साथ चाहिये, जैसे बच्चे को भीड़ में एक हाथ चाहिए.

उम्मीदों से बंधा

उम्मीदों से बंधा एक जिद्दी परिंदा है इंसान, जो घायल भी उम्मीदों से है और जिन्दा भी उम्मीदों पर है…

चखे हैं जाने कितने

चखे हैं जाने कितने जायके महंगे मगर ऐ माँ, तेरी चुल्हे की रोटी सारे पकवानो पे भारी है…

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