सुने तुम जिस रास्ते से

सुने तुम जिस रास्ते से चाहो आ जाना,मेरे चारो तरफ मोहब्बत ही मोहब्बत है !

लोग रूप देखते हैं

लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं; लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं; बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं; हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।

इस क़दर आँखो से

इस क़दर आँखो से दरिया की रवानी हो गई दर्द के बादल उठे धरती भी पानी हो गई हाथ पीले कर नहीं सकती ग़रीबी क्या करे बाप बूढ़ा और बेटी सयानी हो गई|

आओ कभी यूँ

आओ कभी यूँ भी मेरे पास कि, आने में .. लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाए !!!!

तन्हा मुमकिन नहीं….!!

वापस आ कि सफर ये तन्हा मुमकिन नहीं….!! जान गया कि “मैं” हूँ, पर “तुम” बिन नहीं….!

कोशिश बहुत की

कोशिश बहुत की के राज़-ए-मौहब्बत बयाँ न हो !! पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुआँ न हो ।

हम दोनो के बराबर रही…

दिल मे मोहब्बत तो हम दोनो के बराबर रही… लेकिन,मैने छुपाया नही और तूंने बताया नही|

मुस्कुराकर फैर ली

मुस्कुराकर फैर ली उसने नज़र, रस्मे उल्फ़त यूँ निभाई और बस।

हर कोई भूल जाता है

हर कोई भूल जाता है अपने शहर को, उतरता है जब भी खाबों की डगर को। पा गये हो दोस्त तुम कुछ चार दिन के भूल गये दोस्त, नाता पुराना साथ जिनके।

ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें..

ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें.. तो समझो ज़िंदगी रक़ीब हो चली है ख़ुद की|

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