हमे कहां मालूम था

हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या है…? बस…. एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी…. मोहब्बत बन गई

आज एक दुश्मन ने

आज एक दुश्मन ने धीरे से कान में कहा.. यार इतना मत मुस्कुराया कर , बुहत जलन होती है ..!!

हमको महसूस किया

हमको महसूस किया जायेगा खुशबु की तरह …. हम कोई शोर नहीं जो सुनाई देंगे !!

मेला लग जायेगा

मेला लग जायेगा उस दिन शमशान में…जिस दिन में चला जाऊंगा आसमान में….!!

सच को तमीज़ नहीं

सच को तमीज़ नहीं बात करने की.. जुठ को देखो कितना मीठा बोलता है ।

आसमां में उड़ने की

आसमां में उड़ने की चाह रखने वाले.. कभी जमी पर गिरने की परवाह नहीं करते !!

सुनो तुम चाहो तो

सुनो तुम चाहो तो अपने हाथों से संवार देना बाल बिखरा के भेजी है हमारी तस्वीर हमने|

जी ढूँढता है

जी ढूँढता है घर कोई दोनों जहाँ से दूर इस आप की ज़मीं से अलग आसमाँ से दूर

मेरे गुनाहों का

मेरे गुनाहों का हलफ़नामा ज़रा बड़ा है ‘ अपनों की हँसी तकल्लुफ़ जो देती है मुझे ।।

मेरे गुनाहों की

मेरे गुनाहों की सज़ा तुझे मिली है आज माना अब तो ताउम्र मुझे, अपनी सज़ा का इंतज़ार होगा ।।

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