अच्छा हुआ की पंछियों के मज़हब नहीं होते, बरगद भी परेशां हो जाता, मसले सुलझाते सुलझाते।
Category: शायरी
तुम्हे देखने की तमन्ना है
तुम्हे देखने की तमन्ना है इस दिल में , तुम्हे छू सकूँ तो बड़ी बात होगी , उस पल के सदके मैं सब कुछ लुटा दूँ , जिस पल हमारी मुलाकात होगी!!!!
माँ बाप के अलावा
आपके माँ बाप के अलावा कोई भी शख्स आपका निःस्वार्थ भला नही चहता
क्या उम्मीदें होंगी
उस गरीब की भी, क्या उम्मीदें होंगी जिंदगी से जिसकी साँसे भी, गुब्बारों में बिकती हैं..!
छोड़ रहा हूँ
छोड़ रहा हूँ लफ़्ज़ों तुमको तुम्हारे हाल पे, ढूंढ लो फिर कोई अधूरी मोहब्बत खुद के लिए…!!!
तुम्हारी शरारती ऑंखें
सुनो तुम्हारी शरारती ऑंखें, और लबों की मुस्कराहट….!! बेशर्मी से क़त्ल कर देती है, शायर की शराफत का……!!
फिर बदल कैसे गये
तुम .. ना मौसम थे.. ना किस्मत.. ना तारीख …. ना ही दिन ना ही रात फिर बदल कैसे गये…. ?
खुश करने का मौका
किसी को खुश करने का मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना, ऐ दोस्तों… बड़े नसीब वाले होते है वो, जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर..!!!
उसके रूठने की अदायें
उफ्फ़ .. !! उसके रूठने की अदायें भी, क्या गज़ब की है, बात-बात पर ये कहना , सोंच लो.. फ़िर मैं बात नही करूंगी ….!
ज़ुर्म फिर से
ज़ुर्म फिर से ज़ुरूरी हो गया है तंग करने लगी है अच्छाई! ! ज़ुर्म फिर से ज़ुरूरी हो गया है तंग करने लगी है अच्छाई!