कोई तो लिखता होगा इन कागजों और पत्थरों का भी नसीब । वरना मुमकिन नहीं की कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन जाए । और कोई कागज रद्दी और कोई कागज गीता और कुरान बन जाए ।।
Category: व्यंग्य शायरी
बुलंदी देर तक
बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है बहुत ऊँची इमारत हर घडी खतरे में रहती है ।
अब उठती नहीं हैं
अब उठती नहीं हैं आँखें, किसी और की तरफ … पाबन्द कर गयीं हैं शायद, किसी की नज़रें मुझे !
आज कल हर इंसान
“समझदार” एक मै हूँ बाकि सब “नादान”.. बस इसी भ्रम मे घूम रहा आज कल हर “इंसान”.!!
तरीके बदल जाते है
नसीहतें और दुआए बदलती नहीं है.. देने वाले लोग और तरीके बदल जाते है..
ज्यादा मुश्किल है
ज़ुबान की हिफाज़त….. दौलत से ज्यादा मुश्किल है…
बस इतना कहूगाँ
जो बुरे वक्त मेँ मेरे साथ था उनके लिए मैँ बस इतना कहूगाँ….. मेरा अच्छा वक्त सिर्फ तुम्हारे लिए होगा…..!!
Mohabbat lafzon ki
Mohabbat lafzon ki mohtaaz nahi hoti! Jab tanhai me aapki yaad aati hai, Hontho pe ek hi fariyad aati hai… Khuda aapko har khushi de, Kyonki aaj bhi hamari har khushi aapke baad aati hai..
आधा अधूरा इश्क़
ये बुजदिलों की तरह आधा अधूरा इश्क़ हमसे नहीं होता .. . . . हम जब भी करेंगे मोहब्बत बेइन्तहां ही होगी.
Logon k liye
Kanoon to Sirf Bure Logon k liye hota hai……… Ache Log to Sharm se hi Mar jaate hai…….