यूँ ताकना बंद करॊ बार-बार इस आइने कॊ, नजर लगा दॊगी देखना मेरी इकलौती मॊहब्बत कॊ…!
Category: व्यंग्य शायरी
मीठी सी ठंढक है
मीठी सी ठंढक है आज इन हवाओं में, तेरी याद से भरा दराज शायद खुला रह गया..
दीवाने लोग मेरी
दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे है तुम मेरी शायरी में वो असर छोड़ गई हो
सपनॊं के बिन
सपनॊं के बिन जैसे आँखॊं की कीमत कॊई ना, बस ऐसे ही हूँ मै तेरे बिन मेरी चाहत कॊई ना ॥
कितनी है कातिल ज़िंदगी
कितनी है कातिल ज़िंदगी की ये आरज़ू….!! मर जाते हैं किसी पे लोग, जीने के लिये….!!
मैं अकेला हूं
कहने को ही मैं अकेला हूं.. पर हम चार है.. एक मैं.. मेरी परछाई.. मेरी तन्हाई.. और तेरा एहसास..”
वाह रे जमाने
वाह रे जमाने तेरी हद हो गई, बीवी के आगे माँ रद्द हो गई ! बड़ी मेहनत से जिसने पाला, आज वो मोहताज हो गई ! और कल की छोकरी, तेरी सरताज हो गई ! बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई ! वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!! पेट पर सुलाने वाली, पैरों… Continue reading वाह रे जमाने
दिल तो तब
दिल तो तब खुश हुआ मेरा जब उसने कहा तुम्हे छोड़ सकती हूँ माँ-बाप को नही
बुरे आदमी के
बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बंद करना ही अच्छा है..
मीजाज ए मोसम
क्या मीजाज ए मोसम है यारो हम कुलर ठीक करवा रहे है ओर जरुरत फीर से हीटर की है