दर्द दे तो गया है

दर्द दे तो गया है आशकी का….हर तरफ आंसुओं का साया है…

तेरे कूचे में

तेरे कूचे में उम्र भर ना गए…सारी दुनिया की ख़ाक छानी है…

ये जो भी आज

ये जो भी आज हाल है… सब तेरी ही मेहरबानी है…

अब में क्यों तुझे

अब में क्यों तुझे प्यार करता हूँ… जब तेरे शहर से गुज़रता हूँ…

वो घडी आई…

आखिर कार वो घडी आई… बार-ऐ-बार हो गए रक़ीब मेरे…

किस से पूछूँगा

किस से पूछूँगा खबर तेरी… कौन बतलायेगा निशान तेरा…

रहे दो दो फ़रिश्ते

रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा

कभी किसी से

कभी किसी से प्यार मत करना! हो जाये तो इंकार मत करना! चल सको तो चलना उस राह पर! वरना किसी की ज़िन्दगी ख़राब मत करना!

कुछ दिन से

कुछ दिन से मैंने दर्द की बात नही की … दुनिया समझ रही हैं बहुत खुश हूं मैं …

अपनी तकदीर में

अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया; तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक़्त’ गुजार लिया!

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