बेनूर सी लगती है

बेनूर सी लगती है उससे बिछड़ के जिंदगी.. अब चिराग तो जलते है मगर उजाला नहीं करते..

हर मर्ज़ का इलाज़

हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में … मोहब्बत का नाम लिया, दवाख़ाने बन्द हो गये…

पहले ढंग से

पहले ढंग से तबाह तो हो ले मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …

बेताबी उनसे मिलने की

बेताबी उनसे मिलने की इस क़दर होती है हालत जैसी मछली की साहिल पर होती है

बिन तुम्हारे कभी

बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है

बदन के घाव दिखा कर

बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है, सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!

कुछ जख़्मों की

कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….

मुख्तसर सी जिंदगी

मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है, इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है !!

कहती है मुझसे

कहती है मुझसे की तेरे साथ रहूँगी सदा, बहुत प्यार करती है, मुझसे तन्हाई मेरी !!

जिस नजाकत से…

जिस नजाकत से… ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं.. यकीन नहीं होता… इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…

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