ख़ामोशी की वजह

ख़ामोशी की वजह इश्क़ है, वरना तुझे तमाशा हम भी बना देते ..!!

अदा न हुआ कर्ज

अदा न हुआ कर्ज वजूद खत्म हो गया जिंदगी का देते देते मै सूद खत्म हो गया|

हवा चुरा ले

हवा चुरा ले गयी थी मेरी ग़ज़लों की किताब.. देखो, आसमां पढ़ के रो रहा है. और नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो रही है..!

अपने लफ़्ज़ों में

ताकत अपने लफ़्ज़ों में डालों आवाज़ में नहीं.. क्यूँकि फसल बारिश से उगती है बाढ़ से नहीं..

हम भी कभी

हम भी कभी अपनो की उदासी दूर किया करते थे, पर जब आज हम तन्हा है तो पूछने वाला कोई नही !!!

जो भी आता है

जो भी आता है एक नई चोट देकर चला जाता है, माना मैं मजबूत हूँ लेकिन…… पत्थर तो नहीं.!

तेरी कमी आज भी

तेरी कमी आज भी कोई पूरी नही कर सकता पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमजोरी..

हो ना जाए

हो ना जाए हुस्न की शान में गुस्ताख़ी कहीं मेरी जान तुम चले जाओ तुम्हे देखके प्यार आता है

लब ये ख़ामोश रहेंगे..

लब ये ख़ामोश रहेंगे… ये तो वादा है मेरा…! कुछ अगर कह दें निगाहें… तो ख़फा मत होना…

मयखाने की इज्जत

मयखाने की इज्जत का सवाल था, बाहर निकले तो हम भी थोडा लड़खड़ा के चल दिए….

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