यादें जिंदा है

यादें जिंदा है अब भी उसकी…… रिश्ता जो चल बसा कब का……!!

मैंने यादें उठाकर

मैंने यादें उठाकर देखी हैं….. इक वक्त ऐसा भी था जब तुम मेरे थे|

होती रहती है

होती रहती है आशिकों से इश्क में गलतियाँ. कोई जन्म से हीं मजनू और रांझा नहीं होता

न लौटने की हिम्मत

न लौटने की हिम्मत है.. न सोचने की फुर्सत.. बहुत दूर निकल आए हैं.. तुमको चाहते हुए

मुस्कुराते पलको पे

मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते हैं, आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते हैं, आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं, जहाँ किसी ने कहा था, कि ठहरो हम अभी आते हैं..

पूछा है अपने

पूछा है अपने आप से मैं ने हज़ार बार, मुझ को बताओ तो सही क्या चाहते हो तुम…

देखें क़रीब से

देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे|

कुछ नहीं है

कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!!

हुस्न का भाव

हुस्न का भाव अभी और बढ़ेगा, शहर मे यारो दो आशिकों ने, एक ही महबूब को चुन लिया है!

उसने माँगी थी

उसने माँगी थी मुझसे जरा सी दुआ,साथ मैंने ही उसके खुदा कर दिया..!! एक खुदगर्ज़ “ग़ज़ल” नाम जिसको दिया अपनी पहचान दी, उसने मुझको ही सबसे जुदा कर दिया..! उम्रभर साथ चलने का वादा किया,छोड़ तनहा मुझे अलविदा कर दिया..!! एक मंज़िल से भटका मुसाफिर था वो, रास्ते में मिला हमसफ़र बन गया, उसने माँगी… Continue reading उसने माँगी थी

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