निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!!
Category: दर्द शायरी
मैं नींद का ज्यादा
मैं नींद का ज्यादा शौकीन तो नहीकुछ ख्वाब ना देखूँ तो गुजारा नही होता..
अगर शक है
अगर शक है मेरी मोहब्बत पे तो दो चार गवाह बुला लो,हम आज, अभी, सबके सामने, ये जिन्दगी तेरे नाम करते है..
वक्त इशारा देता रहा
वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक़ समझते रहे,बस यूँ ही धोखे ख़ाते गए और इस्तेमाल होते रहा |
दो गज से ज़रा
दो गज से ज़रा ज़्यादा जगह देना कब्र में मुझे…. कि किसी की याद में करवट बदले बिना मुझे नींद नहीं आती…..
आहिस्ता चल ज़िंदगी
आहिस्ता चल ज़िंदगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है. कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है…..
कुछ मीठी सी ठंडक
कुछ मीठी सी ठंडक है आज इन हवाओं में, शायद दोस्तो की यादों का कमरा खुला रह गया है…!
तकलीफ किस बात
दर्द हमेशा अपने ही देते है वरना गैरो को क्या पता कि तकलीफ किस बात से होती है।
वक्त इशारा देता रहा
वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक़ समझते रहे, बस यूँ ही धोखे ख़ाते गए और इस्तेमाल होते रहे…
मैं लिखता हुं
मैं लिखता हुं सिर्फ दिल बहलाने के लिए…. वर्ना जिसपर प्यार का असर नही हुआ उस पर अल्फाजो का क्या असर होगा..