बिछड़कर फिर मिलेंगे

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था… बेशक ख्वाब ही था मगर.. हसीन कितना था…

मेरी खुशियों की

मेरी खुशियों की दुआ करते हो। खुद मेरे क्यों नहीं हो जाते हो।

गुनाह कुछ हमसे

गुनाह कुछ हमसे ऐसे हो गए। यूँ अनजाने में फूलों का क़त्ल कर दिया। पत्थरों को मन ने में।

काश तुम कभी ज़ोर से

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर। कहो डरते क्यों हो पागल। मैं तुम्हारी तो हु।

लफ़्ज़ों ने बहुत

लफ़्ज़ों ने बहुत मुझको छुपाया लेकिन…. उसने मेरी नज़रों की तलाशी ले ली

अभी तो साथ चलना है

अभी तो साथ चलना है समंदरों की लहरों मॆं… किनारे पर ही देखेंगे… किनारा कौन करता है?

हर पल खुश रहूं

हर पल खुश रहूं ऐसा हो नहीं सकता, यादें भी आखिर कोई चीज़ हुआ करती हैं|

सोच रहा हूँ

सोच रहा हूँ कि लिखूं कुछ ऐसा आज जिसे पढ़, वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना..

कैसे भूलेगी वो

कैसे भूलेगी वो मेरी बरसों की चाहत को, दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…

लोग आज कल ‪मुझसे

लोग आज कल ‪मुझसे‬ मेरी ‪खुशी‬ का ‪राज‬ पूछते है, . अगर तेरी ‪इजाजत‬ हो तो ‪‎तेरा‬ नाम ‪‎बता‬ दूँ !!

Exit mobile version