तू भले ही

तू भले ही रत्ती भर ना सुनती है मै तेरा नाम बुदबुदाता रहता हूँ

जब भी हक़ जता कर

जब भी हक़ जता कर देखा, मुझे हदें बता दीं गईं मेरी !!!

हर वक़्त पल पल

हर दिन हर वक़्त पल पल बेहिसाब जहन में बस तुम ही तुम आँखों में बस एक चेहरा सिर्फ तुम सिर्फ तुम

पत्थर के सनम

तुझे तो मिल गये

तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी, . . लेकिन….. . . “मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती है….!!

हर घड़ी ख़ुद से

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे… Continue reading हर घड़ी ख़ुद से

तुम मुझे फरेब दो

तुम मुझे फरेब दो और मैं प्यार समझूं उसे अब इतना सादगी का ज़माना नहीं रहा…

अलविदा कहने में

अलविदा कहने में उसने जिंदगी का एक पल खोया…. हमने एक पल में पूरी जिंदगी खो दी|

जब तालीम का

जब तालीम का बुनियादी मकसद नौकरी का हासिल करना होगा, तो समाज में नौकर ही पैदा होंगे रहनुमा नहीं….

मैं अगर खत्म भी

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह… तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…

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